जीवन की सबसे बड़ी सम्पत्ति प्रसन्नता ही है : श्रमण मुुनि विशल्यसागर जी

झुमरीतिलैया। झुमरीतिलैया की धर्म नगरी में पहली बार त्याग , साधना , आराधना की वात्सल्य मूर्ति जैन संत मुनि श्री 108 विशल्यसागर जी गुरुदेव का सार्वजनिक दिव्य सत्संग श्री दिगम्बर जैन नया मंदिर ,पानी टंकी रोड में दिनांक 15 से 17 नवम्बर 2022 तक समय दोपहर 2:15 से 3:30 बजे तक होगा । जिसमें सभी समाज के लोग उपस्थित होकर धर्म लाभ लेंगे । प्रवचन श्रृंखला में गुरुदेव ने कहा जीवन की सबसे बड़ी सम्पत्ति प्रसन्नता ही है । तुम दुःखी हो,क्योंकि तुम जो चाहते हो, पसंद करते हो वह तुम्हें नहीं मिल पा रहा है। प्रसन्न रहने की कला तो इसमें है कि जो तुम्हें मिल रहा है उसी को पसंद करना शुरू कर दो। ईश्वर हमें वह सब नहीं देता,जो हम चाहते है। जो ईश्वर ने दिया है हम उसे पसंद करना शुरू कर दें। हम सदा खुश रहेंगे। सुख और दुःख दोनों का सम्मान करो।अगर आप अपने मन को इस दिशा में मोड़ने या बदलने में सफल हो जाते है तो प्रसन्नता अपने आप आएगी। प्रसन्नता उधार या किराए से नहीं मिलती।लोग हमारे पास आते हैं और कहते हैं-कोई ऐसा मंत्र बताइए कि जिससे मन को प्रसन्नता और शांति मिले। मैं कहता हूँ-दुनिया में कोई भी ऐसा मंत्र नहीं है जिसको जपने से शांति पाई जा सके।शांति पाने का एक ही मार्ग है कि आप अशांति के निमित्तों से बचने की कोशिश करें।आपने अपने चारों ओर अशांति के इतने निमित्त खड़े कर लिए हैं कि उनके बीच शांति दफन हो गई है चेहरे की मुस्कान भी कृत्रिम हो गई है जिसके कारण बाहर से तो व्यक्ति सुखी नजर आता है लेकिन अंतर्मन में वह दुखी ही है।प्रसन्नता तो वह चंदन है जिसे तो भी प्रतिदिन अपने शीश पर धारण करो और यदि कोई व्यक्ति तुम्हारे द्वारे आए तो उसका भी उसी चंदन से तिलक करो।प्रसन्नता तो परियों की तरह है जिसे रोज सुबह ही अपने ऊपर छिड़क लिया जाना चाहिए। व्यक्ति की मनोदशा, भावदशा और सोच होती है वह उस व्यक्ति के चेहरे पर उभर जाती है। जीवन की सर्वोपरि शक्ति है व्यक्ति के अंतर्मन में पलने वाली शांति और प्रसन्नता। जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति प्रसन्नता ही है। मुख्यरूप से कार्यक्रम समाज के मंत्री जैन ललित सेठी,चातुर्मास संयोजक जैन सुरेन्द काला, कार्यक्रम संयोजक संजय ठोलिया आदि उपस्थित थे। उक्त जानकारी कोडरमा मीडिया प्रभारी नविन जैन, जैन राज कुमार अजमेरा ने दी।