Sunday, September 22, 2024

रेवाड़ी में ऐतिहासिक रहा पिच्छी परिवर्तन समारोह

रेवाड़ी । आचार्य श्री 108 अतिवीर जी मुनिराज का मंगल चातुर्मास धर्मनगरी रेवाड़ी स्थित अतिशय क्षेत्र नसिया जी में व्यापक धर्मप्रभावना के साथ सानंद संपन्नता की ओर अग्रसर है। प्रति वर्ष की भाँती इस वर्ष भी मार्गशीष बदी पंचमी को निकलने वाली रेवाड़ी नगर की ऐतिहासिक वार्षिक रथयात्रा प्राचीन श्री चन्द्रप्रभ दिगम्बर जैन कुआंवाला मंदिर, जैनपुरी से पूज्य आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में प्रारम्भ हुई। भव्य रथयात्रा में जैन ध्वज, स्कूली बच्चे, बैनर, बग्गियां, विभिन्न रथ, प्रेरक व मनमोहक झांकियां तथा श्रीजी का विशाल रथ सम्मिलित थे जो कि नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए अतिशय क्षेत्र नसिया जी पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुई जहाँ पूज्य आचार्य श्री के चातुर्मास निष्ठापन व पिच्छी परिवर्तन समारोह का भव्य आयोजन किया गया ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगलाचरण, जिनवाणी विराजमान, दीपप्रज्जवलन आदि मांगलिक क्रियाओं के साथ किया गया। सौभाग्यशाली महानुभावों द्वारा आचार्य श्री के कर-कमलों में शास्त्र भेंट तथा आचार्य श्री का पाद-प्रक्षालन किया गया. पूज्य आचार्य श्री ने समस्त समाज को अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि लगभग 13 वर्षों के सतत प्रयासों के बाद मिले इस चातुर्मास को रेवाड़ी समाज ने ऐतिहासिक रूप से सफलता पूर्वक संपन्न करवाकर एक नया इतिहास बना दिया है।समाज के हर वर्ग के व्यक्ति ने साधु की चर्या को निर्विघ्न सम्पूर्ण करवाने में अपना बहुमूल्य सहयोग प्रदान किया । कार्यक्रम के मध्यस्थ स्कूल के बच्चों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गए जिसे उपस्थित जनसमुदाय ने करतल ध्वनि से खूब सराहा।
सभी ने संयुक्त रूप से आचार्य श्री को नवीन कमण्डलु भेंट किया तथा पूज्य आचार्य श्री ने अपना पुराना कमंडल अजय जैन (AMW) को प्रदान किया. इस अवसर पर पूज्य आचार्य श्री का पिच्छी परिवर्तन समारोह भी आयोजित किया गया ।आचार्य श्री के कर-कमलों में नवीन मयूर पिच्छिका भेंट करने का परम सौभाग्य दिल्ली जैन समाज से पधारे विशिष्ट गुरुभक्तों को संयुक्त रूप से प्राप्त हुआ । आचार्य श्री ने अपनी पुरानी पिच्छी रेवाड़ी जैन समाज के महासचिव राहुल जैन सपरिवार को प्रदान कर धन्य किया। समारोह में रेवाड़ी, नारनौल, धारूहेड़ा, अलवर, भिवाड़ी, गुरुग्राम, दिल्ली, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, कोसी, मेरठ, बड़ौत आदि विभिन्न नगरों से हजारों गुरुभक्तों ने सम्मिलित होकर धर्मलाभ प्राप्त किया।

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