झुमरीतिलैया। श्री दिगम्बर जैन नया मंदिर जी मे विराजमान जैन संत झारखण्ड राजकीय अतिथि श्रमण मुनि श्री 108 विशल्यसागर जी गुरुदेव के मंगल सानिध्य में बड़े ही धूम – धाम से आचार्य श्री 108 विरागसागर जी महामुनिराज का 31वा आचार्य पदारोहण दिवस मनाया गया परम पू . गुरुदेव का चित्र आनावरण ,दीप प्रज्जवलित,पाद प्रक्षालन समाज के सम्मानित सदस्यों के द्वारा किया गया ।साथ ही समाज के 31 महानुभाव ओर पदाधिकारी के द्वारा मुनिराज के चरणों मे शास्त्र भेंट किया गया एवं 31 मंगल दीपको से मंगल आरती एवं आचार्य छत्तीसी विधान भी बड़े उत्साह के साथ मनाया गया इस मौके पर जैन संत विशल्य सागर जी गुरुदेव ने अपनी अमृतवाणी में कहा कि कहा कि शिष्य के जीवन में गुरुभक्ति होना महान उपलब्धियों का कारण है ख्याति, पद ,प्रतिष्ठा, पूजा य़ह सब गुरुभक्ति से होता है
मुक्ति की प्राप्ति गुरुभक्ति से होती हैं अरिहंत, प्रवचन,आचार्यभक्ति ये सब तीर्थंकर प्राकृति का कारण है l हमारे आदर्श सम्यक्त्व के स्तम्भ आधारभूत देव, शास्त्र, गुरु है आचार्य उपाध्याय साधू की भक्ति करने से कर्मों का क्षय, चित्त की विशुध्द सातिशय पुण्य का कारण है और अज्ञानता दूर हटाती हैं साक्षात मोक्ष का कारण है तीर्थंकर तीर्थं की स्थापना का पल्वन्न करा के आगे ले जाने वाले आचार्य परमेष्ठी है।गौतम गणधर को धारण करने वाले आचार्य परमेष्ठी हुआ करते है ,मोक्षमार्ग के नेता आचार्य परमेष्ठी गुरुओं की भक्ति सर्वोच्च करनी चाहिए बिना गुरु भक्ति के दान,पूजा ,तप व्यर्थ है गुरुभक्ति से ऋद्धि ,सिद्धि स्वतः प्राप्त हो जाती है सभी कार्यक्रम संघस्थ अलका दीदी ,भारती दीदी ओर स्थानीय पंडित अभिषेक शास्त्री के निर्देशन में हुवा जिसमे विशेष रूप से समाज के उपाध्यक्ष कमल सेठी ,मंत्री ललित सेठी,चातुर्मास संयोजक सुरेन्द काला,सह संयोजक रूपेश जैन, सुबोध गंगवाल, शांति लाल छाबड़ा, टुन्नू छाबडा, राजेश -सुनीता सेठी, सुशील कासलीवाल,महिला संगठन की अध्यक्ष नीलम सेठी,मीरा छाबड़ा,सिमा सेठी सहित सेकड़ो लोग उपस्थित थे।