Saturday, November 23, 2024

सामूहिक जीवन की प्रयोगशाला है-परिवार – मुनि जिनेश कुमार

परिवार सेमिनार का भव्य आयोजन

कटक, उड़ीसा । युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में परिवार सेमिनार’ आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रणीत परिवार के साथ कैसे रहे'” पुस्तक आधारित श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा शहीद भवन में आयोजित किया गया। सेमिनार का उद्देश्य-सुखी परिवार, स्वस्थ समाज समृद्ध राष्ट्र था। विषय-परिवार के साथ कैसे रहे । कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि उड़ीसा सरकार के कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र ढोलकिया, मुख्य वक्ता मुम्बई-महाराष्ट्र कस्टम विभाग के कमिश्नर अशोक कोठारी, सम्मानीय अतिथि अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव (महावीर इन्टरकोन्टिनेटल सर्विस अर्गेनाइजेशन) लोकेश कावड़िया व छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष अशोक जैन थे। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप में उपस्थित थे। सेमिनार में उपस्थित सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – समाज की सबसे छोटी किंतु महत्वपूर्ण इकाई है-परिवार सात वार तो सभी जानते है पर आठवां वार है-परिवार। परिवार का अर्थ है – जहां सुख-दुःख बांटकर भोगे जाते हैं, जहाँ रिश्तों की अच्छी तरह से परवरिश होती है। दूसरे शब्दों में निकटवर्ती सहवर्ती व्यक्तियों के समूह का नाम परिवार है। परिवार सामूहिक जीवन की प्रयोग शाला है। परिवार भारतीय संस्कृति का आदर्श है। परिवार स्नेहिल भावनाओं का मुख्यालय है, परिवार सत्यम्, शिवम्_ सुन्दरम् का शिवालय है, मानवीय गुणों का सचिवालय है। परिवार वह आश्रय स्थान है जहां आकर व्यक्ति शीतलता का अनुभव करता है। परिवार एक मौलिक व सर्व व्यापी संस्था है। परिवार बगीचा व गुरुकुल के समान है। मुनि जिनेश कुमार ने आगे कहा आतिथ्य परिवार का वैभव है, प्रेम परिवार की प्रतिष्ठा है, व्यवस्था परिवार की शोभा है सदाचार परिवार की सुवास है, समाधान परिवार का सुख है आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी महान ज्ञानी संत थे उन्होंने अपनी सूक्ष्म मेधा से विपुल साहित्य की रचना की। उनके द्वारा प्रणीत पुस्तक परिवार के साथ रहे” अवश्य पढ़नी चाहिए। उसमें पारिवारिक समस्याओं के समाधान के सूत्र छिपे हुए हैं।

परिवार में व्यवस्था, समझोता, सामन्जस्य, वात्सल्य, विनय, विवेक, सेवा,सयोग, श्रम, संयम, सादगी, संतोष, अनाग्रह दृष्टि आदि होने से सुखी परिवार का‌ निर्माण हो सकती है। बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने “घर को स्वर्ग बनाएं हम” सुमधुर गीत प्रस्तुत किया।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र ढोलकिया ने समाज में पारिवारिक वातावरण बनें इसके लिए सेमिनार को उपयोगी बताते हुए। इसके आयोजन के लिए तेरापंथ सभा को धन्यवाद दिया। मुख्य वक्ता अशोक कोठारी ने आचार्य महाप्रज्ञ प्रणीत पुस्तक” परिवार के साथ कैसे रहें’ के अध्यायों की चर्चा करते हुए कहा – परिवार का मुखिया अगर सदस्यों को जोड़ने वाला हो तो परिवार को बिखरने से बचाया जा सकता है। परिवार में उदारता- सहिष्णुता का प्रयोग उसे एकसूत्रता के धागे में पिरोए रखता है। सभी को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। सम्मानीय अतिथि लोकेश कावड़िया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा- वह परिवार सुखी होता है जिसके सदस्यों में मेरा-तेरा का भाव नहीं होता। संतों के प्रवचन से एक सीख भी लें ले तो यहाँ आना सार्थक हो सकेगा। सम्मानीय अतिथि अशोक जैन मे कहा – हमारी पहचान हमारे परिवार से होती है। परिवार का बड़ा महत्त्व है। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष मोहनलाल सिंघी ने दिया।आभार ज्ञापन तेरापंथी सभा के मंत्री चैनरूप चोरड़िया ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद व चैनरूप चौरड़ि‌या ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर तेरापंथी सभा द्वारा अतिथियों का सम्मान किया गया। चारित्र आत्माओ की चिकित्सा सेवा हेतु डा. कुश कुमार जी जाजोडिया , डा. संदीप जी मित्तल का सम्मान किया गया। इस अवसर पर उड़ीसा प्रदेश अध्यक्ष (महावीर इन्टरकोन्टिनेटल सर्विस ऑर्गेना नाइजेशन, उड़ीसा) उमेश खण्डेलवाल का भी सम्मान किया गया कार्यक्रम को में अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में तेरापंथ सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, अणुत समिति आदि के कार्यकर्ताओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article