देश का सर्व श्रेष्ठ आफिस बन रहा है थूवोनजी में
चन्द्रोदय तीर्थ कमेटी का ललितपुर में हुआ सम्मेलन
ललितपुर । अच्छा आदमी गंदा कार्य करेगा तो बर्बाद हो जायेगा । अच्छी जाति का व्यत्ति खराब काम करेगा तो बर्बादी निश्चित है । अच्छे कुल में जन्मे आदमी गन्दे काम नहीं कर सकते आम के पेड़ पर बवूल नहीं आम ही आना चाहिए । आपकी बुरी आदतें आपके कुल को दूषित करेगी पूर्वजों की कीर्ति को कलंकित करेगी । ऐसे काम मत करना जो जो पाप तुम्हारे पिता करते है वहीं तुम करते हो तो उतना नहीं लगेगा लेकिन जब तुम्हारे पिता पाप नहीं करते और तुमने किया तो बहुत बड़ी सज़ा होगी उससे मैं घबराता हूं । यदि आपका बाप पापी है आपके पूर्वज पाप में लिप्त है तो कर्म वंध कम होगा आपके पूर्वज अच्छे हैं तो आपको अच्छा काम करना है उक्त आश्य के उद्गार मुनिपुगंव श्रीसुधासागर जी महाराज ने ललितपुर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
तीर्थ के विकास के लिए हम सतत् प्रयास शील है
मध्यप्रदेश महासभा के संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि मुनिपुंगव श्रीसुधासागर जी महाराज के सान्निध्य में चन्द्रोदय तीर्थ चांदखेड़ी कमेटी का सम्मेलन सम्पन्न हुआ । जहां भारत वर्षीय तीर्थ कमेटी के पूर्वराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हुकम काका ने कहा कि रास्ते में दर्शनोंदय तीर्थ थूवोनजी का भ्रमण किया , देखकर लगा कि थूवोनजी में देश का सबसे सुन्दर आफिस तैयार हो रहा है । आपके आशीर्वाद जो कार्य हो रहा है बहुत अच्छा हो रहा है तीर्थ कमेटी आपकी प्रतीक्षा कर रही है हमें पिछला चातुर्मास मिला था और आज पूरी कमेटी अपनी बात रख रही है हम सब तीर्थ के विकास के लिए सतत् प्रयास शील है कमेटी के कोषाध्यक्ष गोपाल जी एडवोकेट ने कहा कि बड़े बाबा के दिव्य दरवार में पच्चीस फिट लम्बे पाषाण वीम को आपके आशीर्वाद से ही स्थापित कर पाये है इस दौरान कार्याध्यक्ष अजय वाकलीवाल महामंत्री नरेश वेद ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की सम्मेलन में मनीष मोहिवाल अशोक सेठी अनुराग जैन सहित अन्य भक्तों ने अपनी वात रखी।
संकट में गुरु सबसे आगे व नेता पीछे होते हैं
इस दौरान मुनि पुगंव ने चांद खेड़ी कमेटी को आशीर्वाद देते हुए कहा कि कमेटी बहुत अच्छा काम कर रही है हमें कमीयों को देखकर उन्हें सुधारना है । मैं प्रशंसा करने वाले से कम आलोचकों से अधिक खुश होता हूं , तब ही कमीया दूर होती है। उन्होंने कहा कि नेता और गुरु में एक ही अंतर होता है नेता माला पहनने में आगे और संकट में सबसे पीछे रहता है जबकि गुरु संकट के समय सबसे आगे रहते हैं गुरु के रहते शिष्य पर संकट नहीं आ सकता यही विशेषता गुरु से जगत को अलग स्थान दिलाती है ।