अधिकार तो याद रहते लेकिन अपने कर्तव्य भूल जाते है
शांतिभवन में प्रवचन माला जुग-जुग जियो का समापन
भीलवाड़ा। सुनील पाटनी । हमे अपने कर्तव्य याद नहीं रहते लेकिन अधिकार कभी नहीं भूलते है। अधिकारों की लड़ाई के चलते ही रिश्तों में दीमक लगना शुरू हो गया है। ऐसे में प्रेम व मोहब्बत का वातावरण कैसे बन पाएगा। रिश्ते ही नहीं बचेगे तो संपति व पैसे का क्या करेंगे। जिसका जो अधिकार है वह उसे मिलना चाहिए लेकिन दूसरों के अधिकारों को छीनने का प्रयास नहीं करना चाहिए और अपने कर्तव्य हमेशा याद रख स्वयं को विराधनाओं से बचाने का प्रयास करना चाहिए। ये विचार आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में शुक्रवार को प्रवचनमाला जुग-जुग जियो के समापन अवसर पर व्यक्त किए। इस प्रवचन माला के माध्यम से बताया गया कि किस तरह आशीर्वाद व दुआएं प्राप्त करके जीवन को सुखी व समृद्ध बनाया जा सकता है। मुनिश्री ने कहा कि किसी की जिंदगी ही समाप्त कर देना बहुत बड़ी विराधना है। हमे सभी दस तरह की विराधनाओं से बचना होगा। विवेकपूर्ण आगे बढ़ने पर दुनिया के तमाम प्राणियों से पॉजीटिव एनर्जी ग्रहण कर सकते है। व्यवस्थाओं को विवेकपूर्ण ऐसी बनाए कि घर में कम से कम विराधना हो। उन्होंने कहा कि घर में जो जीव जगत है उनसे भी पॉजीटिव एनर्जी पाने के तरीके निकालने होंगे। स्वयं भी विराधना से बचे और दूसरों को भी इससे बचने के लिए प्रेरणा प्रदान करें। जीवन ऐसा जीए कि विराधना कम से कम हो अनंत-अनंत जीवों की दुआ हम मिलेगी और वरदान भी प्राप्त होंगे। समकितमुनिजी ने कहा कि आपके कारण कोई हिंसा हो रही है तो वह भविष्य में कष्टदायी होगी। किसी भी कार्य के लिए ये कहकर दायित्वमुक्त नहीं हो सकते है कि मैं तो नहीं करना चाहता लेकिन बच्चें नहीं मानते है। ऐसा करके आप जिम्मेदारी मुक्त हो सकते लेकिन पाप कर्मों के बंधन से मुक्त नहीं हो सकते। कोई भी चीज समय से पहले पकना खतरनाक होती है चाहे वह सब्जी, फल, अनाज हो या परिवार में उत्तरदायित्व ग्रहण करना हो। शुरू में गायन कुशल जयवंतमुनिजी ने प्रेरणादायी गीत की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य मिला। धर्मसभा में नासिक, चैन्नई, पैरम्बूर आदि स्थानों से आए श्रावकगण मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत शांतिभवन श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़, अमरसिंह डूंगरवाल व मनोहरलाल सूरिया ने किया। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने किया।
रात में जूठे बर्तन नहीं छोड़ने का दिलाया संकल्प
विराधनाओं के कारण होने वाले पाप कर्म की चर्चा करते हुए पूज्य समकितमुनिजी ने श्रावक-श्राविकाओं को संकल्प कराया कि अगले एक माह वह रात में जूठा बर्तन घर में नहीं छोड़ेगे। उन्होंने कहा कि एक माह सफलतापूर्वक ऐसा करने के बाद अवधि को आगे बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि रात में भोजन के जूठे बर्तन छोड़ने पर उनमें जीव उत्पन्न होते है जिससे विराधना होती है। रसोई का वातावरण स्वस्थ रहने पर शरीर भी स्वस्थ रहेगा।
जैन दिवाकर जयंति पर गुणानुवाद रविवार को होगा
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के गतिमान चातुर्मास का अंतिम प्रवचन 8 नवंबर को होगा। इससे पूर्व 6 नवंबर रविवार को धर्मसभा में जैन दिवाकर चौथमल जी म.सा. की जयंति भी मनाते हुए गुणानुवाद किया जाएगा। इसी दिन धर्मसभा में चातुर्मास के दौरान श्रेष्ठ सेवाएं देने वाले कार्यकर्ताओं का श्रीसंघ की ओर से सम्मान किया जाएगा। चातुर्मास का समापन 8 नवंबर को वीर लोकाशाह जयंति पर होगा। श्रावक-श्राविकाएं जप-तप व भक्ति का नया इतिहास बनाने वाले इस चातुर्मास को लेकर मन के भाव भी 7 व 8 नवंबर की धर्मसभा में व्यक्त करेंगे। चातुर्मास समाप्ति के बाद 9 नवंबर को सुबह 8.15 बजे पूज्य समकितमुनिजी म.सा. शांतिभवन से वर्धमान कॉलोनी स्थित अंबेश भवन के लिए विहार करेंगे। मुनिश्री का 10 नवंबर को चन्द्रशेखर आजादनगर, 11 नवंबर को श्याम विहार एवं 12 व 13 नवंबर को यश सिद्ध स्वाध्याय भवन में प्रवास रहेगा।