Saturday, September 21, 2024

ज्ञान की स्थिरता ही ध्यान है: आचार्य श्री सुनील सागर

आठ दिवसीय मंगलकारी कल्पद्रुम विधान का चतुर्थ दिन

जयपुर। भट्टारक जी की नसिया में विराजे भगवान ऋषभदेव और यहीं आचार्य गुरुवर श्री सुनील सागर महा मुनिराज की अपने संघ सहित चातुर्मास में समवशरण सिंहासन पर विराजमान होकर श्रावकों को उपदेश देकर बहुत ही उज्जवल साधना कर रहे हैं है। प्रातः कल्पद्रुम विधानमंडल के आयोजन के तहत कुबेर इन्द्र राजीव जैन गाजियाबाद, एवं ओमप्रकाश काला विद्याधर नगर वालों ने, अंकित जैन तथा सौधर्म इंद्र शांति कुमार सौगाणी जापान वालों ने ने भगवान श्री जी को मस्तक पर लेकर पंडाल में विराजमान किया । भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ , उपस्थित सभी महानुभावों ने पूजा कर अर्घ्य अर्पण किया।पश्चात आचार्य श्री शशांक सागर गुरुदेव के श्री मुख से शान्ति मंत्रों का उच्चारण हुआ, सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। सन्मति सुनील सभागार मे प्रतिष्ठाचार्य प. सनत् कुमार जी ने मन्त्रोच्चारों के साथ कल्पद्रुम विधान की चतुर्थ दिन की पूजा का विधिवत शुभारंभ किया ।आचार्य भगवंत को अर्घ्य अर्पण करते हुए शांति कुमार- ममता सोगानी जापान वाले, नेमीचंद कसेरा टेन्ट व राजीव गाजियाबाद ने चित्र अनावरण और दीप प्रज्जवलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया कि मंगलाचरण सीमा गाजियाबाद ने किया व मंच संचालन इंदिरा बड़जात्या ने किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के महामन्त्री ओमप्रकाश काला ने बताया पूज्य आचार्य भगवंत की पावन निश्रा में, आठ दिवसीय विधान के चतुर्थ दिवस पर आचार्य भगवन्त के श्री मुख से पूजा उच्चरित हुई । चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा व राजेश गंगवाल ने बताया आचार्य भगवंत के चरण पखारे नीरज जैन चित्रकूट वाले परिवार ने ।पूज्य आचार्य भगवंत को जिनवाणी शास्त्र भेंट किया गया।
हृदय की गहराई से सिद्ध शिला की ऊंचाई से तीर्थंकर वर्धमान स्वामी का जयघोष करते हुए इंद्र राजेश गंगवाल ने धर्म सभा में प्रश्न किया भगवन ध्यान कैसे हो सकता है ? बताने की कृपा करें।


गुरुवर आचार्य भगवंत उपदिष्ट हुए सु ध्यान धर्म ध्यान तक ले जाते हैं । सुआचरण मंदिर तक ले जाते हैं , सु तप प्रभु वर्धमान तक ले जाते हैं। आप लोग ध्यान कर पाते हैं या नहीं कर पाते हैं, आपसे ध्यान होता है या नहीं होता है, अक्सर लोग इस विषय में यह सोचते हैं ध्यान तो मुनि राजो को ही होता है। समझ लीजिए ज्ञान की स्थिरता का नाम ही ध्यान है । धन की बहुत शक्ति होती है धन चले जाने से ईष्ट वियोग का आर्त ध्यान हो जाता है । पीड़ा होने पर भी चिंता हो जाए तो आर्तध्यान है । अगर अतिरिक्त कमाई किसी भी रूप में हो रही है तो उसे धर्म ध्यान में लगाओ ,स्कूल विद्यालय आदि में लगाओ, मंदिर जी आदि की व्यवस्था में सदुपयोग करो। तीर्थों का निर्माण हो पुनरुद्धार हो, जैन धर्म की जय जय कार हो ।श्रावक अगर विवेक पूर्वक धर्म को समझें तो उन्हें भी ध्यान हो सकता है । कु ध्यान वह है जहां विषय वासना हो । यहां सब लोग श्रावक जन आए हैं, पूजा कर रहे हैं ,तो धर्म ध्यान तो हो ही रहा है। समवशरण की रचना करके समवशरण का ध्यान हो रहा है यहां धर्म ध्यान ही तो हो रहा है।

आर्यिका श्री स्वस्ति भूषण माताजी का होगा आज मंगल प्रवेश

दिनांक 5 नवम्बर को आर्यिका श्री स्वस्ति भूषण माताजी का भट्टारक जी की नशियां मे प्रातः 8.30 बजे भव्य जुलुस के साथ मंगल प्रवेश होगा । आज कल्पद्रुम विधान महामंडल के अंतर्गत प्रातः 6:30 जलाभिषेक पंचामृत अभिषेक और शांति धारा होगी तथा विधानमंडल में अब तक 15 पूजा संपन्न हो चुकी हैं आज तीन पूजाएं होंगी।

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