बड़ो की अनदेखी करने पर जीवन में कभी नहीं मिल सकती सफलता
शांतिभवन में पांच दिवसीय प्रवचन माला जुग-जुग जियो का चौथा दिन
भीलवाड़ा। हम कई बार क्रोध के पैर से क्षमा को ढंक देते है। क्रोध का पैर अंगद के पैर के समान है जिसे कोई हिला नहीं सकता। क्षमा के गुण को क्रोध के पैर से नहीं ढंकना चाहिए। अभिमान का पांव जैसे ही पड़ेगा वह हमारी विनम्रता को ढंक देगा। सावधानीपूर्वक गमन करना सीख लिया तो बाहरी विराधना से बच जाएंगे। इंसान चाहे तो पशुओं से भी बहुत कुछ सीख सकता है। अभिमान के पाप से विनम्रता का गुण ढंकते ही जो उपलब्धि हमे हासिल होनी चाहिए उससे भी वंचित हो जाते है। ये विचार आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में रविवार को पांच दिवसीय प्रवचनमाला जुग-जुग जियो के चौथे दिन व्यक्त किए। इस प्रवचन माला के माध्यम से बताया जा रहा है कि किस तरह आशीर्वाद व दुआएं प्राप्त करके जीवन को सुखी व समृद्ध बनाया जा सकता है। मुनिश्री ने महारथी कर्ण के तथ्य छुपा मुनि परशुराम से ज्ञान अर्जित करने का उदाहरण देते हुए कहा कि कोई भी चीज या बात छुपानी नहीं चाहिए अन्यथा छुपाकर सीखा हुआ जरूरत पड़ने पर काम नहीं आता या भूल जाते है। उपकारी के उपकार को हमेशा याद रखे और कभी छुपाए नहीं। जिस दिन उपकारी के उपकार पर मिट्टी डालेंगे तो गुरू से मिले आशीर्वाद व वरदान भी फेल हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आशीर्वाद मिलना कठिन है और मिलने के बाद उस पर राख डाल देना सबसे बड़ी बेवकूफी है। जिसके अनुसार चलना चाहिए उसके अनुसार नहीं चलकर अपने हिसाब से चलने लगते वह समय आने पर कब चलते बनते है पता ही नहीं चलता है। बड़ो को साइड में करने पर कभी सफलता नहीं मिल सकती। कई बार श्रावक की सूझबूझ भी भटके हुए को राह पर ला सकती है। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. एवं गायन कुशल जयवंतमुनिजी का भी सानिध्य मिला। धर्मसभा में पूना श्रीसंघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ विभिन्न स्थानों से आए श्रावकगण मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत शांतिभवन श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ एवं चातुर्मास संयोजक नवरतनमल बम्ब ने किया। धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने किया।
सुश्राविका रेखा मेहता ने लिए 70 उपवास का प्रत्याख्यान
धर्मसभा में उस समय हर्ष-हर्ष, जय-जय के उद्घोष से गूंज उठी जब पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने श्याम विहार निवासी सुश्राविका रेखा मेहता को 70 उपवास का प्रत्याख्यान कराया। सुश्राविका की तपस्या की श्रीसंघ की ओर से भी अनुमोदना की गई। तपस्वी के परिवार की ओर से तप की अनुमोदना के लिए धर्मसभा समाप्ति के बाद शांतिभवन में चौबीसी का भी आयोजन किया गया।
सामायिक आराधना करने वाले भाग्यशाली विजेताओं को उपहार
शांतिभवन श्रीसंघ की ओर से चातुर्मास में 5 लाख 25 हजार से अधिक सामायिक आराधना पूर्ण होने पर सामायिक साधना करने वाले श्रावक-श्राविकाओं में से ड्रॉ निकाल गए चुने गए भाग्यशाली एक विजेता श्राविका पुष्पा बापना को स्वर्ण सिक्का प्रदान किया गया। स्वर्ण सिक्का श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ ने प्रदान किया। इसी तरह 108 भाग्यशाली विजेता श्रावक-श्राविकाओं को चांदी के सिक्के उपहार में प्रदान किए गए। भाग्यशाली सामायिक विजेताओं की सूची भी शांतिभवन में चस्पा की गई है।
कौन बनेगा मोक्षपति के विजेता पुरस्कृत
श्री शांति जैन महिला मंडल की ओर से प्रत्याख्यान की पालना पर आधारित प्रतियोगिता कौन बनेगा मोक्षपति के विजेता लक्की ड्रॉ से चुने गए। महिला मंडल की मंत्री सरिता पोखरना ने बताया कि लक्की ड्रॉ के आधार पर प्रथम अनिता संचेती, द्वितीय कमला चौधरी फूलियाकलां वाले एवं तृतीय प्रमिला कोचिटा को चुना गया। विजेताओं को पुरस्कार देने के साथ अन्य सभी प्रतिभागियों को मंडल की ओर से सांत्वना पुरस्कार दिए गए। इस मौके पर महिला मंडल संरक्षक इन्द्रा बापना, पद्मा दरड़ा, अध्यक्ष स्नेहलता चौधरी, मार्गदर्शिका सुनीता पीपाड़ा, सरोज गोलेच्छा, प्रमिला सूरिया, बसंता डांगी, मधु मेड़तवाल आदि भी मौजूद थे।
उत्तराध्ययन सूत्र पर आधारित लिखित परीक्षा का आयोजन
नियमित प्रवचन सम्पन्न होने पर शांतिभवन में रविवार को 27 दिवसीय उत्तराध्ययन सूत्र की आराधना पर आधारित लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया। इस परीक्षा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। परीक्षा की व्यवस्थाओं में श्री शांति जैन महिला मंडल की पदाधिकारियों ने सहयोग प्रदान किया। परीक्षा का परिणाम घोषित होने पर विजेताओं का सम्मान किया जाएगा।