जयपुर। चिकनी गीली मिट्टी को आकार देकर आकर्षक दीपक और मटकी बनाने वाले माटी के कलाकार पिछले कई दिनों से पारंपरिक दीयों से लेकर अलग-अलग डिजाइन व आकार में दीपक, हीड या दीप पुतलियां और मटके तैयार करने में जुटे हैं। कुछ साल पहले तक चीन के बने डिजाइनर दीयों ने स्थानीय बाजार पर कब्जा जमा रखा था, लेकिन पिछले दो चार साल में स्थिति बदली है। कोरोना काल के बाद इस साल मिट्टी से दीया बनाने वाले स्थानीय कलाकारों में डिजाइनर व आकर्षक दीये बनाने के प्रति खासा उत्साह देखा जा सकता है। इसके अलावा आमजन की लोकल फॉर वोकल की मानसिकता के कारण चाइना के दीये और साज सज्जा वाली विद्युत लाइट अब चलन से बाहर नजर आने लगे हैं।
लेकसिटी में कुम्हारवाडा के अलावा कुम्हारों के भट्टे पर बसे प्रजापति परिवार बताते हैं कि बरसों से उनके पुरखे पारंपरिक दीपक हीड और माटी की मटकियां बनाते रहे हैं, लेकिन कुछ दशक से चीनी बाजार के ज्यादा आकर्षक और सस्ते दीपक और लाइटों ने देश भर में स्थानीय कलाकारों की रोजी रोटी पर संकट पैदा कर दिया। हालांकि अब फिर से स्थानीय बाजार के उत्पादों की मांग बढ़ गई है। बाजार में 1 रुपए से लेकर 50 रुपए तक की कीमत के दीये बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। वहीं आसपास क्षेत्र में दीपोत्सव पर हीड या दीप पुतली का खासा चलन होने से शहर के स्थानीय प्रजापति समाज कलाकार समय रहते उनके निर्माण और साज सज्जा में जुटे हैं। भारतीय संस्कृति में दीपावली के साथ ही कई परिवार घरों में पानी के लिए नई मटकी खरीदना शुभ मानते हैं। इसलिए बाजार में छोटी से बड़ी कलात्मक मटकियां भी बिक्री के लिए सजी हुई देखी जा सकती है। दीवाली को लेकर घर, प्रतिष्ठान, गली मोहल्ले और मुख्य बाजार सज संवर कर तैयार हो गए हैं।
पांच दिवसीय दीपोत्सव का शुभारंभ 22 अक्टूबर को धनतेरस से होगा। स्वास्थ्य के देवता भगवान धनवंतरि के पूजन के साथ ही पूरे दिन खरीददारी की जा सकेगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस खरीदी को लेकर कोई मुहूर्त विशेष देखने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि पूरे दिन कुछ भी सामान खरीदा जा सकेगा। गौरतलब है कि 22 अक्टूबर शनिवार को सूर्योदय से उदयाकाल तिथि द्वादशी रहेगी, इसके बाद शाम 4.20 बजे से त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी, जो कि दूसरे दिन 23 अक्टूबर को शाम 4.51 बजे तक रहेगी। धनतेरस का पूजन द्वादशी युक्त त्रयोदशी तिथि में शनिवार को होगा। धनतेरस को खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ माना जाता है। इसमें मुहूर्त विशेष देखने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। ऐसे में आमजन धनतेरस पर सूर्योदय से मध्यरात्रि तक सोना, चांदी, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक सामान, उपहार सामग्री, वस्त्र एवं वाहन आदि खरीदते हैं। इसके अगले दिन रूप चौदस या नर्क चतुर्दशी पर महिलाएं और युवतियां सजती संवरती हैं और फिर दीवाली पर लक्ष्मी गणेश पूजन दर्शन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव सम्पन्न होगा।