जन्म नहीं कर्म से ही बनता महान या घटिया इंसान
उत्तराध्ययन आगम की 27 दिवसीय आराधना का 20 वां दिन
भीलवाड़ा। सुनील पाटनी । दुनिया में हर कोई कमजोर व दुर्बल को दबाने में लगा हुआ है। भाई इतना खतरनाक होता है कि भाई को भी भाई पहचानने से इंकार कर देता है। इंसान भिखारी को फिर भी कुछ दे दे लेकिन भाई को नहीं देना चाहता। जंगल में निवास करने मात्र से कोई मुनि नहीं बन जाता। श्रावक उसको कहां जाता है जो सामायिक करें यहां सामायिक का मतलब समभाव से है। आदमी जन्म से नहीं कर्म से महान या घटिया बनता है। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में मंगलवार को परमात्मा भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन आगम की 27 दिवसीय आराधना ‘‘आपकी बात आपके साथ’’ के 20 वें दिन व्यक्त किए। इसके तहत आगम के 36 अध्यायों में से 25 वें अध्याय यज्ञीय एवं 26 वें अध्ययन समाचारी का वाचन करने के साथ इनके बारे में समझाया गया। उन्होंने कहा कि कर्म के आधार पर ही व्यक्ति को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र कहा गया है। वर्तमान बेरोजगारी की दशा का मूल कारण परमात्मा के बनाए उस सिद्धांत को भूला देना है जिसमें नाई के घर वाले नाई का और दर्जी के घर वाले दर्जी का ही कार्य करते थे। सबके कार्य बंटे होने से किसी के सामने बेरोजगारी का खतरा नहीं था। अब हालात बदल गए है और बड़ी कंपनियों ने सारे कार्य हथिया लिए है और छोटे व्यवसाईयों के सामने भी धंधा चौपट होने का खतरा है। मुनिश्री ने कहा कि पहले घर में जन्म लेते ही ये तय होता था कि आगे ये कार्य करना है लेकिन अब हर कार्य हर कोई कर रहा है। एक-दूसरे का कार्य छीनने के प्रयास में बेरोजगारी बढ़ती गई। पहले एक व्यवस्था तय होने से आगे का सोचना नहीं पड़ता था लेकिन अब बड़े कारोबार कुछ लोग के हाथों में रह गए है। धर्मसभा के शुरू में गायन कुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरक गीत प्रस्तुत किया। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य मिला। लक्की ड्रॉ के माध्यम से भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को प्रभावना में चांदी के सिक्के लाभार्थी परिवारों द्वारा प्रदान किए गए। अतिथियों का स्वागत एवं धर्मसभा का संचालन शांतिभवन श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ ने किया।
बड़ो का आशीर्वाद लेकर ही निकले घर से बाहर
समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि हर घर के कुछ नियम व मर्यादाए तय होती है जिसकी पालना परिवार के प्रत्येक सदस्य को करनी चाहिए। ऐसा नहीं करने से समस्याएं आती है। घर से बड़ो का आशीर्वाद लेकर ही निकलना चाहिए और वापस लौटने पर भी सूचित करना चाहिए। कोई भी पिता अपने पुत्र का दुश्मन नहीं होता उसके हित की ही सोचता है। उन्होंने कहा कि पूछकर कार्य करने की आदत डालने पर गड़बड़ी होने की संभावना कम रहेगी। ये मानकर चले कि बड़ो का जन्म देने के लिए होता है लेने के लिए नहीं। हमेशा बड़े से आपको दुआ ही मिलेगी। किसी को भी कार्य देने से पहले उसकी इच्छा पूछ लो। बिना इच्छा कार्य देने पर अनुकूल परिणाम नहीं मिलेगा। घर के बड़ो को हमेशा खुश रखना चाहिए। जिस घर में बुर्जुग खुश नहीं होते वहां कभी देवी-देवता खुश नहीं रह सकते।
मदनमुनिजी म.सा. की दीक्षा जयंति पर सामूहिक एकासन बुधवार को
मेवाड़ प्रवर्तक पूज्य मदनमुनिजी म.सा. की 69वीं दीक्षा जयंति पर 19 अक्टूबर बुधवार को शांतिभवन में सामूहिक एकासन आराधना का आयोजना होगा। इस अवसर पर श्रीसंघ की ओर से सभी श्रावक-श्राविकाओं से दो-दो सामायिक करने का आग्रह किया गया है। आचार्य सम्राट देवेन्द्रमुनिजी म.सा. की जयंति के अवसर पर 22 अक्टूबर को शांतिभवन में सुबह 9 से 10.15 बजे तक समवरशरण ध्यान एवं शालिभद्र जाप का आयोजन होगा। जाप समापन पर शालिभद्र के हाथों 33 पेटियां लक्की ड्रॉ विजेताओं को दी जाएगी। भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक के उपलक्ष्य में तेला तप आराधना भी 22 अक्टूबर से शुरू हो रही है। अधिकाधिक श्रावक-श्राविकाओं को तेल तप आराधना करने के लिए प्रेरणा दी जा रही है।