नियम पालने वाले पर संकट में देव मदद के लिए आ जाते हैं : मुनि श्री सुधासागरजी महाराज

ललितपुर । नियम पालने वाले की मदद करने के लिए देवता भी आ जाते हैं अहिंसा में चांडाल का नाम प्रसिद्ध हो धर्म ग्रंथों में आया जबकि पुजारी का नाम नहीं आया चांडाल का नाम क्यों आया मैंने पुरी कथा पड़ी नियम के बदले चांडाल को मौत मिली अहिंसा के बदले मौत। अहिंसा के बदले अहिंसा मिलें तो ठीक है अहिंसा के बदले मौत मिलें तो चांडाल ने मौत तो स्वीकार कर लिया । राजा ने बोरे में भरकर तालाब में फेंक देने का आदेश दे दिया तब आकाश मार्ग से जा रहें देवताओं के विमान रुक गये और वे चांडाल को कमलासन लेकर प्रकट हो गये उसने नियम लिया कि मरने को तैयार हूं लेकिन नियम नहीं तोड़ूंगा । देवताओं के सिंहासन हिल गये देवताओं ने चाडाल के लिए कमल बिछा दिये । जीने के लिए नहीं मरने को तैयार हूं इसलिए देवताओं ने कमल विचारक सिंहासन लगा दिया । उक्त आशय के उद्गार मुनि पुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने ललितपुर में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।

सम्मान उसे मिलता है जिसने देश के लिए प्राण न्योछावर किए

मध्यप्रदेश महासभा के संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि इस समय ललितपुर में गुरु देव के सान्निध्य में प्रशिक्षार्थियों को मुनिश्री द्वारा विशेष सम्बोधन दिया जा रहा है इस शिविर में
विभिन्न कक्षाओं के साथ आचार्य भगवंत श्री कुन्द कुन्द द्वारा रचित श्री समयसारजी ग्रन्थ राज का बहुत विशेष स्वाध्याय कराया जा रहा है। ये ग्रन्थों में ग्रंथराज कहलाता है । मुनिश्री ने कहा कि सम्मान उसे मिलता है जिसने देश के लिए प्राण न्योछावर कर दिया । जिंदा रहने वाले को वह सम्मान नहीं मिलता । सेना में भी सर्वोच्च सम्मान मरनोपरान्त दिया जाता है । उन सैनिकों को वह सम्मान नहीं मिलता जो शहीदों को आप लोगों द्वारा दिया जाता है ।

जीवन के लिए व्यक्ति थोड़े से अनाज को भी नहीं छोड़ता

मुनि पुगंव ने कहाकि जीवन के लिए व्यक्ति थोड़े से अनाज को भी नहीं छोड़ पाते चाहें प्राण चले जाये हम मुंगावली के पास 1990 मे विहार कर रहे थे वह एक बहुत लम्बा पुल‌ है उस पुल पर एक व्यक्ति की अनाज की पोटली गिर गई सब लोगों ने उस व्यक्ति से पुल पर जाने के लिए मना किया पुल पर ट्रेन आने का संकेत था वह व्यक्ति नहीं माना और थोड़े से अनाज के लिए अपनी जान गंवा दी। अपने जीवन की सुरक्षा पहले करना चाहिए और मरना ही है तो धर्म क्षेत्र में मरूंगा । यदि तुम्हारी मौत आ जाती है तो किस तरह मरु मन्दिर में मौत हो जाये तो मन्दिर बंद, शिखर जी करते समय मौत हो वे तो शिखर जी बंद, दिवाली पर मौत हो वे तो दिवाली पूजन बंद कर देते हैं । यदि दुकान पर कोई मर जाता है तो क्या आप दुकाने हमेशा के लिए बंद करते हैं ? नहीं ना तो धर्म क्षेत्र में ऐसा क्यों धर्म क्षेत्र में भी ऐसा नहीं करना चाहिए ।

मरने का काल निश्चित करना चाहिए
उन्होंने कहा कि मरने का काल निश्चित करों किसके सामने मरना चाहते हो कहा मरना चाहते हो मैं कैसे जीना चाहते हो कब तक जीना चाहते हो कहा जीना चाहते हो ये तो सभी सोचते हैं दो पेपर दे रहा हूं कहा जीना चाहते हो कहा मरना चाहते हो कब तक जीना है कहा जीना चाहते हो जीने के लिए हम बहुत योजनाये बनाते है बड़ा शहर है अच्छा व्यापार हो गाड़ी है नौकर चाकर हो जीने के लिए तो बहुत योजना है। मरने के लिए क्या तैयारी है आज इस पर विचार करना है । मरू तो चैत्य सिद्धांत गुरु मूले जब में मरु तो गुरु देव आपके सामने मरु भगवान को नमोस्तु करते हुए मेरे प्राण इस तन से निकले ।