Saturday, September 21, 2024

मुख्‍यमंत्री गहलोत ने किया कल्पद्रुम् विधान के पोस्टर का विमोचन

1से 9 नवम्बर तक होगा भव्य आयोजन

जयपुर। गुलाबी नगरी जयपुर में आचार्य गुरुवर सुनील सागर महा मुनिराज अपने संघ सहित भट्टारक जी की नसिया में चातुर्मास हेतु विराजमान है। प्रातः भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ, उपस्थित सभी महानुभावों ने पूजा कर अर्घ्य अर्पण किया।पश्चात गुरुदेव के श्री मुख से शान्ति मंत्रों का उच्चारण हुआ, सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। सन्मति सुनील सभागार मे बाहर से आए सभी श्रावकों ने अर्घ्य अर्पण कर चित्र अनावरण करते हुए दीप प्रज्जवलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मा व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया कि मंगलाचरण श्रीमती अनीता सौगाणी ने तथा मंच संचालन इन्दिरा बडजात्या जयपुर ने किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के महामन्त्री ओम प्रकाश काला ने बताया कि अजमेर व कुशलगढ़ से पधारे समाज बन्धुओं ने आचार्य श्री के समक्ष श्रीफल अर्पण किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा राजेश गंगवाल ने बताया धर्म सभा मे आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन देवेन्द्र शाह ,हंसमुख कुशल गढ परिवार ने किया। पूज्य गुरु देव को जिनवाणी शास्त्र भेंट किया गया। प्रातः आचार्य सुनील सागर चातुर्मास व्यवस्था समिति का एक प्रतिनिधिमंडल दिनेश खोडनिया विधायक व महेन्द्र जीत मालवीय जल संसाधन मन्त्री राजस्थान सरकार तथा मुख्य संयोजक रुपेन्द्र छाबड़ा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री निवास पर उन्हें आचार्य श्री के द्वारा लिपिबद्ध जिनवाणी भेंट की ,और आगामी अष्टान्हिका पर्व के पोस्टर का विमोचन कराया गया। प्रतिनिधिमंडल में राजेश गंगवाल, मुकेश जैन, राजेंद्र पापड़ीवाल, त्रिलोक गोधा, प्रदीप जैन उपस्थित रहे। रुपेंद्र छाबड़ा ने मुख्यमंत्री महोदय को राजस्थान में प्राकृत एवं जैन विद्या अकादमी की स्थापना हेतु एक ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिस पर मुख्यमंत्री ने तुरंत अग्रिम कार्यवाही करने हेतु आदेश प्रसारित किए। पूज्य गुरुदेव ने अपने मंगल मयी उद्बोधन में कहा अपने आचरण को शुद्ध कर लो, जो भी कुछ गठित होगा तो हमारा जीव संसार से मुक्त होकर सिद्धालय में जाएगा, मन को ही मंदिर बना लो, देव शास्त्र गुरु की आराधना से मन निर्मल होता है तीर्थ यात्रा का अर्थ है विषय वासना से मुक्त होना । इससे मन की शुद्धि होती है पर इसमें अहम की भावना नहीं होनी चाहिए।

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