जयपुर। श्री वीतराग विज्ञान महिला मण्डल द्वारा एक दिवसीय तीर्थ वन्दना यात्रा के अन्तर्गत 41 सदस्यों का एक दल मंडल की सचिव सुशीला जैन अलवर वाले एवं यात्रा संयोजक प्रमिला जैन के सानिध्य में एतिहासिक नगर लाडनूं के जिन मन्दिरों की वन्दना की। प्रात:6.30 पर पंडित टोडरमल स्मारक भवन बापू नगर जयपुर के सीमंधर जिनालय के दर्शन करने के पश्चात बस से सीकर जिले के रैवासा स्थित वात्सल्य धाम व अपना परिवार वृद्धजन आवास गृह का अवलोकन किया। पास में ही स्थित दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय क्षेत्र रैवासा के दर्शन किए, प्राचीन व कलात्मक आयतन में भूगर्भ से प्राप्त भगवान सुमतिनाथ रैवासा वाले बाबा की बहुत ही अतिशयुक मनोहारी प्रतिमा है। यहां से दुजोद गांव पहुंच कर बहुत ही भव्य दिगम्बर जैन मंदिर दूजोद के दर्शन करें यहां पर महावीर स्वामी की सफेद संगमरमर की पद्मासन मनोहारी प्रतिमा है । यहां से प्रस्थान करके सुजानगढ़ पहुंचे । सुजानगढ़ समाज के अध्यक्ष सुनील जैन मंत्री पारसमल बगड़ा, डूंगरमल गंगवाल, संतोष गंगवाल, विनीत कुमार बगड़ा, संतोष छाबड़ा आदि ने यात्री दल का स्वागत किया व पदाधिकारियों का तिलक माला और दुपट्टा के द्वारा स्वागत किया मंडल की तरफ से हीरा चंद बैद ने सुजानगढ़ समाज का आभार व्यक्त किया और मंडल की गतिविधियों से अवगत कराया। विशाल मन्दिर के दर्शन किए। यहां पर रजत प्रतिमाओं का भव्य चैतालय यहां स्वर्ण मण्डित काष्ठ से निर्मित समवशरण की रचना के दर्शन कर सभी बहुत अभिभूत हुए। यहां से दिगम्बर जैन नसियां जी पहूंचे। जहां विशाल मानस्तम, व मार्बल से निर्मित नन्दीश्वर द्वीप जिनालय व पंचमेरु के दर्शन कर तीन भागों में विभक्त भव्यमन्दिर में बिराजमान बड़ी बड़ी भव्य प्रतिमाओं की वन्दना की। यहां खड्गासन मुद्रा की आदिनाथ से महावीर तक 24 तीर्थंकर प्रतिमा है । बताया गया कि यहां के चन्द्र प्रभ व मुनिसुव्रतनाथ स्वामी की बहुत अतिशय कारी प्रतिमा है।
यहां से प्रस्थान कर के सांय लगभग पांच बजे लाडनूं पहूंच कर यहां के विश्वविख्यात 1000 बर्ष से अधिक प्राचीन व कलात्मक बड़े मन्दिर के दर्शन कर सभी अभिभूत हो कर अपने आपको धन्य मान रहे थे। यहां पर भूगर्भ से प्राप्त प्राचीन प्रतिमाओं के साथ में नवीन प्रतिमाएं भी ऊपर वाले चौक के जिनालय में विराजमान है कहा जाता है की इस मंदिर के लगभग दस 12 फुट नीचे एक जिनालय स्वता ही अवतरित हुआ था इस जिसमें भगवान अजीत नाथ वह भगवान शांतिनाथ स्वामी की विशाल प्रतिमाएं विराजमान है। इनके समक्ष बहुत ही कलात्मक तोरण लगे हुए हैं अजीतनाथ भगवान के समक्ष वाला तोरण जमीन की खुदाई में प्राप्त हुआ था यहीं पर विश्व की बहुत ही कलात्मक एवं आकर्षक जैन सरस्वती की प्रतिमा है इस मंदिर के बाद में सामने ही दिगंबर जैन मंदिर बड़ा के दर्शनार्थ के दर्शन करने के पश्चात् चंद्र सागर जिनालय पहुंचे इसमें मुख्य वेदी में मूलनायक भगवान महावीर स्वामी की सुन्दर प्रतिमा है इसी वेदी में दिगंबर जैन आचार्य वीरसागर जी महाराज शांति सागर जी महाराज, चन्द्र सागर जी महाराज की प्रतिमाएं भी विराजमान है इसके अलावा ऊपर की मंजिल में 4 अलग-अलग चैतालय है। यहां के दर्शन के बाद में हम सुखानंद आश्रम के बहुत ही विशाल एवं भव्य श्वेत पाषाण से निर्मित मंदिर पहुंचे । यहां बहुत ही आकर्षक वेदी में मूलनायक भगवान आदिनाथ की पीतल धातू की बड़ी प्रतिमा के अलावा दोनों तरफ के चैत्यालय में भरत एवं बाहूबली की लगभग 7 फुट ऊंची प्रतिमा है। बाहर मानस्तम व बाहुबली भगवान की विशाल प्रतिमा हे। दर्शन के पश्चात् जयपुर के लिए रवाना हुए ।