Friday, November 22, 2024

परिस्थितियां सदैव बदलती है इसलिए अहंकार मत करो : आचार्य श्री सुनील सागर जी

जयपुर । गुलाबी नगरी जयपुर में आचार्य गुरुवर श्री सुनील सागर महा मुनिराज अपने संघ सहित भट्टारक जी की नसिया में चातुर्मास हेतु विराजमान है। प्रातः भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ , उपस्थित सभी श्रावको ने पूजा कर अर्घ्य अर्पण किया।पश्चात गुरुदेव के श्री मुख से शान्ति मंत्रों का उच्चारण हुआ, सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। आज प्रातः बेला में मुनि 108 श्री सिद्धार्थ सागर जी , श्री सुज्ञेय सागर जी,श्री सुष्यान सागर जी, मुनि राज एवं क्षुल्लक श्री विजयन्त सागर जी का केश लोंच हुआ। सन्मति सुनील सभागार मे बाहर से आए सभी श्रावकों ने चिन्तामणी बज,रवी प्रकाश बगडा आदि ने अर्घ्य अर्पण कर चित्र अनावरण करते हुए दीप प्रज्जवलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया कि मंगलाचरण व मंच संचालन इन्दिरा बडजात्या जयपुर ने किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के महामन्त्री ओम प्रकाश काला ने बताया कि पाडवा से पधारे अतिथि महानुभावों ने आचार्य श्री के समक्ष श्रीफल अर्पण किया ।चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा राजेश गंगवाल ने बताया धर्म सभा मे श्री चिन्तामणि बज व रवीप्रकाश बगडा नेआचार्य श्री का पाद प्रक्षालन किया। गुरुवर को जिनवाणी शास्त्र भेंट किया गया।
पूज्य मुनि श्री सम प्रतिष्ठा सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन में गुरुदेव वह अपनी दीक्षा के अनुभव बांटे उन्होंने आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी एवं आचार्य श्री सन्मति सागर जी से कहां कैसे हुई आवृत्ति करने का और दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ यह सभी लोगों को बताया ।
पूज्य आचार्य भगवंत ने अपनी वाणी से पर कल्याण की भावना से उद्बोधन देते हुए कह कि वंदामी 24 जिनेशम्
श्रद्धा से सर झुकाने से अभिमान मिट जाएगा ।
और जिनवाणी का स्वाध्याय करोगे तो जीवन संवर जाएगा ।

जनवाणी को ठीक ढंग से समझाएं ,ऐसे लोग मुश्किल से मिलेंगे। धर्म और दर्शन जीवन में जो आप कर रहे हैं वह दर्शाता है, कि आप सही हैं या गलत हैं ।इस समय चार्वाक दर्शन का महत्व ज्यादा बढ़ रहा है ।खाओ पियो मस्त रहो यह भावना बनती जा रही है।परंतु इसमें आत्मा के अस्तित्व को ही नकार दिया गया है। आज का जीवन सुख से जियो यही मान्यता बन गई है ।लोन लेकर जिओ, गाड़ी भी होनी चाहिए ,मकान नहीं बंगला होना चाहिए। परंतु ज्यादा फैशन परस्ती नहीं होनी चाहिए यह ध्यान अवश्य रखो।आजकल असली दूध ,असली घी का मिलना मुश्किल हो गया है । पैकेट का दूध तो अत्यंत हानिकारक है, धारोष्ण दूध को ही ग्रहण करना चाहिए। गाय के थन से निकलते समय जो गर्माहट उस दूध में होती है, वही गर्माहट का दूध ग्रहण करें अंतर मुहूर्त में दूध को छानकर गर्म कर लो और धरोष्ण हीं पीना चाहिए। हमारा जन्म हुआ है तो पूर्व का जीवन भी होगा ,तथा आगे का जीवन भी होगा । अब इस जीवन में ऐसा कुछ करो कि अगला भी सुधर जाए । आत्मा की चिंता करो क्योंकि यह भव बदल जाएगा । आपके पास स्वर्ण द्रव्य है और पतिदेव ने ब्रेसलेट बना लिया, आपने आते ही कह दिया की इसका तो हार बनाना चाहिए था। बस विवाद शुरू हो गया ।आपस में सामंजस्य होना चाहिए छोटी-छोटी बातों से तलाक तक की नौबत आ जाती है, अपनी बातों को भावनाओं को निर्मल रखो ।परिस्थितियां सदैव बदलती है इसलिए अहंकार मत करो प्रेम से बोल कर आप किसी को भी अपना बना सकते हैं। क्योंकि विचार आपस में एक दूसरे को प्रभावित करते हैं।

- Advertisement -spot_img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article