जयपुर । गुलाबी नगरी जयपुर में आचार्य गुरुवर सुनील सागर महा मुनिराज अपने संघ सहित भट्टारक जी की नसिया में चातुर्मास हेतु विराजमान है। प्रातः भगवान जिनेंद्र का जलाभिषेक एवं पंचामृत अभिषेक हुआ , उपस्थित सभी महानुभावों ने पूजा कर अर्घ्य अर्पण किया। पश्चात गुरुदेव के श्री मुख से शान्ति मंत्रों का उच्चारण हुआ, सभी जीवो के लिए शान्ति हेतु मंगल कामना की गई। आज प्रातः बेला में आर्यिका 105 श्री संगीतमति माताजी का केश लोंच हुआ। सन्मति सुनील सभागार मे रमेश गंगवाल इंदिरा बड़जात्या रुपेंद्र छाबड़ा, विकास बड़जात्या राजेन्द्र पापडीवाल व सुरेन्द्र शाह तथा बाहर से आए सभी श्रावकों ने अर्घ्य अर्पण कर चित्र अनावरण करते हुए दीप प्रज्जवलन कर धर्म सभा का शुभारंभ किया। उक्त जानकारी देते हुए चातुर्मास व्यवस्था समिति के प्रचार मंत्री रमेश गंगवाल ने बताया , मंगलाचरण व मंच संचालन इन्दिरा बडजात्या जयपुर ने किया । चातुर्मास व्यवस्था समिति के महा मन्त्री ओम प्रकाश काला ने बताया कि बाहर से पधारे अतिथि महानुभावों ने आचार्य श्री के समक्ष श्रीफल अर्पण किया ।चातुर्मास व्यवस्था समिति के मुख्य संयोजक रूपेंद्र छाबड़ा राजेश गंगवाल ने बताया धर्म सभा मे श्री बी एल सोनी पूर्व डीजीपी राजस्थान पुलिस एवं दिनेश खोडनिया ने आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन किया। गुरुवर को जिनवाणी शास्त्र भेंट किया गया। दिनेश खोडनिया जी ने अपने वक्तव्य में गुरुदेव का वंदन करते हुए, बी एल सोनी का परिचय देते हुए उनके उल्लेखनीय योगदान के बारे में बताया। बी एल सोनी डीजीपी ने कहा हमारे देश के युवाओं में बहुत ऊर्जा है उन्हें धर्म से लगाव होना चाहिए, धर्म से हमें युवाओं को जोड़ना चाहिए।
पूज्य आचार्य भगवंत ने अपनी वाणी से पर कल्याण की भावना से उद्बोधन देते हुए कहा—- वंदामी 24 जिनेशम्
मजबूत लोग अपने फैसलों से दुनिया बदल देते हैं ।
कमजोर लोग दुनिया के डर से अपने फैसले ही बदल देते हैं
मुनियों की साधना को देखो उन्होंने पांच महाव्रतों का पालन करने का संकल्प किया है, यह पूर्ण परिग्रह के त्यागी हैं ।
24 घंटे में एक बार का नियम है आहार ग्रहण करने का। और इस नियम का वह पूर्णता से पालन करते हैं । सोनी साहब तो काजल की कोठरी में है फिर भी दाग कहीं से भी लगने नहीं देते हैं । जैन धर्म तो जन धर्म है जन जीवन का धर्म है ।यह धर्म इंसान को इंसान से जोड़ने की बात करता है ।देश को देश से जोड़ने की बात करता है। जन्म से जैन होने से कुछ नहीं होता है आचरण से कर्म से जैन होना चाहिए। विरले ही इंसान होते हैं जिनके जीवन से ही झलकता है धर्मा चरण क्या है । अगर पुलिस अधिकारी लोग समाज कंटको से समाज को विहीन करते हैं ,तभी तो संत सुरक्षित हैं । यह लोग इतने ऊंचे पद पर पहुंच कर भी अच्छाई को नहीं छोड़ते हैं यह अति प्रशंसनीय है। हम दुनिया में आए हैं तो ऐसा कुछ करें कि वापस जाएं तो जवाब देने के लायक बने रहें। वर्धमान स्वामी के पांच महाव्रतों का पालन करें। और सारी दुनिया में इन्हें लागू कर दिया जाए तो पुलिस की भागमभाग बिल्कुल कम हो जाएगी। हमारी आत्मा शाश्वत है कभी मिटने वाली नहीं है। पुराना कपड़ा छोड़कर इंसान नया कपड़ा धारण करता है ।उसी तरह से जीव आत्मा भी पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण कर लेती है।