क्षमता व पात्रता देख ही तय करें जीवन का लक्ष्य
उत्तराध्ययन आगम की 27 दिवसीय आराधना का 11वां दिन
भीलवाड़ा। सुनील पाटनी । शिक्षा के साथ विनय मिलने पर ही आदमी समझदार बनता है। विद्धान अभिमानी होने पर मूर्ख समान है। जिंदगी में सफलता एवं प्रगति चाहते है तो पांच चीजों अभिमान, क्रोध, प्रमाद, बीमारी व आलस्य से दूर रहना होगा। इनमें से कोई एक भी होने पर जीवन में प्रगति नहीं हो सकती। अभिमानी खंभे जैसे होते है जो नष्ट हो जाते लेकिन झुकना पसंद नहीं करते। इसी तरह गुस्सैल होने, प्रमाद करने, शरीर निरोगी रहने या आलस्य का शिकार होने पर भी जीवन सार्थक व सफल नहीं होगा। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में रविवार को परमात्मा भगवान महावीर की अंतिम देशना उत्तराध्ययन आगम की 27 दिवसीय आराधना ‘‘आपकी बात आपके साथ’’ के 11वें दिन व्यक्त किए। इसके तहत आगम के 36 अध्यायों में से 11 वें अध्याय बहुश्रुत पूजा एवं 12वें अध्याय हरिकेशीय का वाचन करने के साथ इनके बारे में समझाया गया। उन्होंने कहा कि जिसको जैसी पात्रता होती है वैसा ही प्राप्त होता है। इसलिए बच्चों की क्षमता व पात्रता देख ही उसके जीवन का लक्ष्य तय करना चाहिए अनावश्यक कोई चीज नहीं थोपनी चाहिए। जीवन में श्रद्धा, स्नेह व प्रेम मांगने से नहीं मिलता इसके लिए पात्र बनना पड़ता है। दूसरों को मिटाकर नहीं सबको साथ लेकर चलने पर ही प्रगति संभव है। ज्ञानीजन कहते है संभलने और संभालने की कला में जो पारंगत हो गया वह समझदार हो गया है। शुरू में गायन कुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरक गीत प्रस्तुत किया। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य मिला। लक्की ड्रॉ के माध्यम से दो-दो भाग्यशाली श्रावक-श्राविकाओं को प्रभावना में चांदी के सिक्के लाभार्थी परिवारों द्वारा प्रदान किए गए। अतिथियों का स्वागत एवं धर्मसभा का संचालन श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ ने किया।
टेढ़ी चाल वालों को सीधे रास्ते पर भी होती मुश्किल
मुनिश्री ने कहा कि दुनिया के सारे रास्ते सीधे मुश्किल उनको होती जिनकी चाल टेढ़ी होती है। किसी का दिल दुःखा कर नहीं उसका सहयोग करके ही दिल जीता जा सकता। सोचने का नजरिया बदल जाए तो जीवन बदल जाता है। चरित्र देखने की बजाय सिर्फ शक्ल सूरत देख कर निर्णय करने वाले अक्सर गलती कर जाते है। उन्होंने भिक्षुक व संतों का सम्मान करने की सीख देते हुए कहा कि भिक्षुक को मारना या अपमानित करना स्वयं को बर्बाद करने के समान है। कूपित हुआ संत लोक को जलाकर भस्म कर सकता है। उन्होंने कहा कि धर्म रूपी जलाशय में डूबकी लगाने वाले कर्मबंध से विशुद्ध होकर उत्तम स्थान को प्राप्त करते है। घर बैठे शीलव्रत की आराधना-साधना करने वाला बहुत जल्दी शाश्वत सुखों को प्राप्त करता है।
तप रूपी अग्नि से करे हवन
पूज्य समकितमुनिजी ने धर्मसभा में संकल्प दिलाया कि इस बार दिवाली पर जहां तक हो सके हिंसा से बचने का प्रयास करेंगे। पूजा में सचित फूलों का उपयोग नहीं करेंगे एवं आगम की रीति के अनुसार हवन करते हुए आगे बढ़ेगे। ये हवन तप रूपी अग्नि से करना होगा। इस तप से शरीर एवं आत्मा की शुद्धि होगी। अहिंसा के सिद्धांतों की पालना करते हुए भगवान महावीर निर्वाण कल्याणक मनाना है।
नवपद आयबिंल ओली की आराधना पूर्ण हुई
शांतिभवन में नवपद आयबिंल ओली की आराधना रविवार को पूर्ण हो गई। ये नौ दिवसीय आराधना एक अक्टूबर से शुरू हुई थी। नवपद ओली तप आराधना के लाभार्थी डूंगरवाल परिवार के विजयादेवी अमरसिंह डूंगरवाल ने बताया कि करीब 90 श्रावक-श्राविकाओं ने नवपद ओली आयबिंल आराधना का लाभ लिया। ओली तप करने वाले तपस्वियों ने नियमित प्रवचन समाप्ति के बाद पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के मुखारबिंद से श्रीपाल-मैना सुंदरी चरित्र का भी श्रवण किया था। शांति जैन महिला मंडल की मंत्री सरिता पोखरना ने बताया कि श्रीपाल मैना सुंदरी चरित्र वाचन के दौरान प्रश्नोत्तर प्रतियोगिता के विजेता मानसिंह खारीवाल, सुशीला सुराणा, आशा गोखरू, रोशन खाब्या, मीना चौधरी, शांतादेवी पोखरना, अमरसिंह धूपिया, रेखा बाबेल,सुमन लोढ़ा को पुरस्कृत किया गया। ओली आयबिंल तप पूर्ण होने पर शांतिभवन श्रीसंघ की ओर से सभी तपस्वियों को प्रभावना वितरित की गई। प्रभावना प्रदान करने वालों में श्रीसंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़, मंत्री राजेन्द्र सुराना आदि शामिल थे।
नाटिका के माध्यम से समझाया संयुक्त परिवार का महत्व
बालिका मंडल की ओर से धर्मसभा में नाट्य प्रस्तुति देकर संयुक्त परिवार का महत्व समझाया गया और घर के बुर्जुगों का सम्मान व आदर करने का संदेश दिया गया। इस नाटक में बताया गया कि संयुक्त परिवार के सदस्यों के अलग-अलग हो जाने एवं बुर्जुग माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजने पर क्या परेशानियां सामने आती है और पारिवारिक जीवन पर क्या असर होता है। नाट्य प्रस्तुति देने वालो में अंजलि बाबेल, रेणु चौधरी,नव्या जैन, पलक बाबेल आदि शामिल थे। इस नाट्य प्रस्तुति की श्रावक-श्राविकाओं ने सराहना करते हुए हर्ष-हर्ष, जय-जय का उद्घोष किया गया।