समर्पण करने वाले डाकूओं को भी माफी मिली
अपराधी को भी समर्पण करने पर क्षमा मिल जाती है
ललितपुर । तीर्थ असीमित लोगों के लिए होते हैं । तीर्थों को सीमित मत होने दो। जिन तीर्थ पर सब का अधिकार होता है वहा देश भर से लोग जुड़ते चले जाते हैं और प्रयास करके जोड़ना चाहिए जिन तीर्थ को असीम किया गया वे कहां से कहां पहुंच गये। तीर्थ सभी के लिए है इन तीर्थों को असीम कर दो पूरे देश के लिए खोल देना। हमने ज्ञानोदय तीर्थ अजमेर को असीम कर दिया आज देख लो वह कहां पहुंच गया । सबसे पहले दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी वालों ने, सुदर्शनोदय तीर्थ आवा राजस्थान में समर्पण दिखाया था । दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी को असीमित कर दिया आज दर्शनोदय तीर्थ थूवोनजी का कोई भी दिगम्बर जैन देशभर से सदस्य बन सकता है । इसे सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय तीर्थ सुदर्शनोदय आवा में घोषित किया था दर्शनोदय तीर्थ कमेटी बहुत अच्छी तरह कार्य कर रहा है उक्त आशय के उद्गार मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने ललितपुर में धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
अंतरराष्ट्रीय तीर्थ घोषित किया
मध्यप्रदेश महासभा के संयोजक विजय धुर्रा ने बताया कि जिज्ञासा समाधान में जब ललितपुर के नजदीकी तीर्थ सिरोंन कमेटी की भावना को वरिष्ठ समाजसेवी शीलचंद दाऊ ने निवेदन पूर्वक रखा तो गुरु मुख से इस तीर्थ को नवीन नाम मिल गया । परम पूज्य गुरुदेव मुनि पुंगव श्रीसुधासागरजी महाराज ने इसे अंतरराष्ट्रीय घोषित करते हुए सभी के लिए खोल दिया ।
आज से सत्योदय तीर्थ कहलायेगा सिरोनंजी- मुनि पुंगव श्री सुधासागरजी महाराज
सीरोन क्षेत्र वाले आये बहुत देर से आये है । आने में बहुत देर कर दी लेकिन कोई बात नहीं जब जागें तब ही सबेरा अभी इस चातुर्मास में बहुत दिनों से सिरोन क्षेत्र वाले लगें हैं । आज इस तीर्थ का नाम घोषित करते हैं श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन सतोदय तीर्थ सीरोन जिला ललितपुर उत्तर प्रदेश । यह वर्षो बाद भी सत्य को बचाये है ऐसे तीर्थ का नाम आज श्री शान्ति नाथ दिगम्बर जैन सतोदय तीर्थ क्षेत्र सीरोन जी जिला ललितपुर उत्तर प्रदेश अब इसका कोई भी ट्रस्टी बन सकता है । फोकट में कोई ट्रस्टी नहीं बन सकता है । ये जो फोकट में ट्रस्टी बनते है यही सबसे ज्यादा धमा चौकड़ी करते हैं। इस तीर्थ के प्रति श्रद्धा रखने वाले सबसे पहले इस तीर्थ के सदस्य बनकर सेवा के लिए आगे आये । अपराध को स्वीकार करने पर माफी मिल जाती है-मुनि पुगंव उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा अपराध अपराधी को शरण देना है । अपराधी कैसे बनते है कई बार अत्याचार के कारण डाकू बन जातें हैं फूलन देवी की घटना सब को पता है अपराधी जब समर्पण कर देते हैं तो हमारे यहां का कानून उसे सांसद बनने की भी छूट दे देता है । समर्पण के कारण डाकू एक दिन सांसद बन जाती है इन रिचाओ को क्यों धर्म सभा में ला रहा हूं मात्र इसलिए कि जो अपराध कर प्रयाशित लेने के लिए तैयार हो जाता है उसे माफ कर दिया जाता है।
अपराध को कबूल करना सीखें
उन्होंने कहा कि नव्वे प्रतिशत लोग अपराध को कबूल नहीं कर पाते लेकिन जव वहीं अपराधी रिमांडर पर जाता है तो वह कोई सीमा नहीं होती कि कितनी पीटाई होगी जो अपराध स्वीकार नहीं करता । उसे जैन दर्शन ने कहा इसे कर्म रूपी रिमांडर के हवाले कर दो । धर्म दया करेगा कर्म दया नहीं करता। कर्म धुलाई करता है तो एक एक रोम से बीमारी ला सकता है, एक एक दाने को मोहताज कर सकता है, धर्म कहता है कि अभिषेक करें पूजन करेंगे तो संसार से बच जायेगा लेकिन जब भगवान के पैर नहीं धोओगे तो ऐसे लोगो को गधे के पैर धोते देखा गया है । कर्म की मार पड़े इसके पहले संभल जाओ ।
उन्होंने कहा कि हमारे देश की कुछ विशेषताएं रहीं हैं । यहां कई बार धोखा खाने के बाद भी अपराध को माफ़ कर दिया । राजा प्रथ्वी राज चौहान ने विदेशी आक्रमण कारी को सोलह बार अपराध माफ़ किया वो अलग बात है कि उन्हें धोखा खाना पड़ा मात्र गाय कहने पर अपराधी को क्षमा कर दिया कितना भी बड़ा अपराध हो जाये उसे स्वीकार कर लेना उसे अपराध की सजा कई गुना कम कम हो जाएगी। अंजन से निरंजन बन गया मुनि पुंगव ने कहा कि अंजन चोर की कथा जैन दर्शन मे आती हैं जिसमे वह बहुत क्रूर और बहुत बड़ा चोर हैं लेकिन उसने अपने अपराध को स्वीकार कर समर्पण कर दिया और अपने पापो की सजा मांगी और उसका समर्पण ऐसा कि गुरु महाराज देखते रह गए और अंजन चोर भगवान बन गया! भारतीय कानून में भी आत्मसमर्पण करने वाले अपराधी की सजा कम कर दी जाती हैं अतः अपने पाप, अपने अपराध को स्वीकार करना सीखे।